छह दशकों से अधिक समय से अपनी अखंड परंपरा को जीवंत रखने वाला अखिल भारतीय कालिदास समारोह अब 67वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। 1958 से उज्जैन में आयोजित यह प्रतिष्ठित सांस्कृतिक अनुष्ठान 30 अक्टूबर से 7 नवंबर तक कालिदास संस्कृत अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न होगा। इस वर्ष पूर्वरंग, नवाचारों, लोकप्रिय आकर्षणों और युवा सहभागिता के साथ यह समारोह नई ऊंचाइयों को छुएगा, जो आयोजकों, कलाकारों, कला प्रेमियों और उज्जैनवासियों की सामूहिक सफलता का प्रतीक है।
अकादमी निदेशक डॉ. गोविंद ने बताया कि देवप्रबोधनी एकादशी (1 नवंबर) से पूर्व 30-31 अक्टूबर को पूर्वरंग आयोजित होगा। 30 अक्टूबर को मां गढ़कालिका पर वागर्चन में शहर के 1100 छात्र-छात्राओं द्वारा श्यामलादंडकम् और देवी स्तुति की सामूहिक प्रस्तुति होगी। नृत्याराधना नृत्य मंदिर संस्थान द्वारा देवी स्तुति में नृत्य आराधना भी होगी। 31 अक्टूबर को पारंपरिक कलश यात्रा रामघाट से शुरू होकर अकादमी परिसर तक पहुंचेगी। इसमें छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य, नासिक के ढोल-ताशे, पुलिस बैंड, लोककलाकारों के नृत्य और गणमान्य नागरिक शामिल होंगे। टावर चौक पर कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी, जबकि शहर संगठन यात्रा का स्वागत करेंगे।